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एक ‘बेटी’ ने ही सारा जहां सर पे………?

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एक ‘बेटी’ ने ही सारा जहां सर पे………?

बात इसी महीने के प्रारम्भ की है, मैं सुबह लगभग 10 बजे निकटवर्ती कस्बे में सिथत अपने विधालय, स्कूटर से जा रहा था। आधा रास्ता तय हो चुका था। तभी मैंने दूर से देखा 3-4 बाइक सड़क के किनारे खड़ी हैं और सड़क के किनारे कुछ लोग जमा हैं। मैं भी जिज्ञासावश रूक गया और उन लोगों से पूछा-भाई क्या हुआ?
उनमे से एक बोला एक्सीडेन्ट हो गया है, मैंने अपना स्कूटर भी साइड लगाया, उनके पास जाकर देखा कि एक वृद्ध जमीन पर बेहोश पड़ा है, उसके सिर से खून बह रहा था। हमने फौरन उस वृद्ध को उठाया और सड़क की दूसरी साइड में छायादार पेड़ के नीचे लिटा दिया।

हम उस साइड वापस आये, तो तभी सड़क के किनारे बने गडडे से एक युवक बाहर आया, उसके भी सिर से खून बह रहा था और वह बुरी तरह घबराया हुआ था। हमने उसे सम्भाला और पूछा कि एक्सीडेन्ट किस चीज से हुआ है, और तुम किस वाहन पर सवार थे? वो बोला मैं और मेरा दोस्त बाईक पर थे और ये बुडडा (शहर की भाषा में वृद्ध) साइकिल पर था। मैंने उससे पूछा तुम्हारा दोस्त कहां हैं? उसने सडक के किनारे बने गडडे की और इशारा कर दिया और अपना सिर पकड़ कर जमीन पर लेट गया।
हम तेजी से गडडे की तरफ भागे तो देखा, एक बाइक झाडियों में पड़ी है, हमने फटाफट उस बाइक को उठाया, उसके नीचे उसका दोस्त दबा हुआ था। उसे भी निकाला. उसके नीचे साइकिल थी, साइकिल का अगला पहिया लडडू की तरह पिचक गया था। मेरे ”पत्रकार” दिमाग ने “टूव्हीलर्स” की “दशा और दिशा” देखकर मन ही मन हिसाब लगाना शुरू कर दिया-”बाइक सवार ‘मेरठ’ की तरफ जा रहे थे अत: वे अपनी साइड में चल रहे थे, साइकिल पर सामने से टक्कर लगी है, क्योंकि उसका अगला पहिया मुड़ा हुआ है। इसका मतलब है कि साइकिल सवार रौंग साइड में चल रहा था।”
हमने नीचे दबे हुए लड़के को उठाया, उसकी उम्र 16-17 साल की होगी। उसके भी सिर से खून बह रहा था, वो बार-बार घबराहट या दर्द के कारण बेहोश हो रहा था। हम दो व्यक्तियों ने उसे सहारा दिया, मैंने उसे संतावना देने की कोशिश करते हुए कहा-‘बेटा पहली गलती ये तुम्हारे सिर पर हेलमेट नहीं है, जबकि टूव्हीलर पर 90 प्रतिशत मौंते सिर पर चोट लगने के कारण होती हैं, या तो उनके सिर पर अत्यधिक रक्तस्राव हो रहा हो, या रक्त बिल्कुल न निकल रहा हो, क्योंकि रक्त न निकलने से ब्रेनहेमरेज का खतरा रहता है, और घायल को 30 मिनट में एक अच्छे हॉस्पिटल में पहुंचाना जरूरी होता है, तुम सैफ हो क्योकि तुम्हारे सिर से खून तो निकल रहा है पर चोट गम्भीर नहीं है, इसलिए तुम घबराओ नहीं, ये मैं नहीं कह रहा मेरा तजुर्बा कह रहा है, क्योकि स्कूटर से मेरे छोटे-बड़े कुल मिलाकर 5 एक्सीडेन्ट हो चुके हैं।” उसे समझाते-समझाते हम उसे भी सड़क की दूसरी साइड़ ले गये, और वही लिटा दिया।
हमने प्रयास करके एक छोटी गाड़ी को रूकवा लिया, जो उनको हॉस्पिटल ले जाने को तैयार हो गया। हमने कहा सबसे पहले उस वृद्ध को गाड़ी में बैठाओ कही वो मर ना जाये । हम तुरन्त उस वृद्ध की तरफ बढ़े, पाठकजन पढ़कर हैरान होंगे कि वो वृद्ध उठकर बैठा हुआ था और उसके हाथ में शराब का पव्वा (क्वार्टर) था, जिसे वह अपने कंपकपाते हाथों व झुलते हुए शरीर से खोलने की कोशिश कर रहा था।
सभी को उस वृद्ध पर तेज गुस्सा आया, मैंने उसके हाथ से पव्वा छिनकर फैंक दिया, उसके पास जाने पर उसके मुंह से शराब की तेज स्मैल आयी, हमने कहा! तेरी वजह से इन लडकों को इतनी चोट लगी है और तेरे पैर भी कब्र में लटक रहें हैं, इतना नशे मे होने के बाद भी तू और पीने की कोशिश कर रहा है? तभी मुझे काफी दिन पहले सुनी एक कविता याद आ गयी, सही लय याद नहीं है किसी पाठकबन्धु को पता हो तो अवश्य शेयर करें-
शराब के ठेके के सामने से गुजरा ‘जनाजा’
मुरदा उठ बैठा
बोला, दोस्तों 4-5 बोतलें ले लो
कब्र में बैठ कर पिया करेंगे
‘खुदा’ जो मांगेगा कर्मो का हिसाब
उसे भी एक-दो पैक दे दिया करेगें।
मेरी कविता सुनकर सभी खिलखिलाकर हंस पड़े, हमने उस वृद्ध और दोनों लड़को को गाड़ी में लिटा दिया, गाड़ी आगे बढ़ गयी।
मैं भी अपने स्कूटर के पास आया और चाबी लगाई और किक मारने ही जा रहा था, कि एक शायर साहब का एक शेर याद आ गया। “शराब” का एक नाम ”अंगूर की बेटी” भी है, शायद इसलिए क्योकि ये अंगूर से भी बनाई जाती है, शायर ने लिखा है-
एक ‘बेटी’ ने ही सारा जहां
सर पे उठा रखा है,
शुक्र है ‘अल्लाह’! का अंगूर के ‘बेटा’ ना हुआ!
और मैंने भी अपने स्कूटर को किक मारी और गंतव्य की ओर रवाना हो गया।

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